रत्नों की दुनिया बहुत असाधारण है। इन कीमती रत्नों ने हमेशा से हर क्षेत्र से आने वाले लोगों को आकर्षित किया है। खानों में छिपे पत्थरों की कहानियां हमेशा से मानव जीवन का मूलभूत हिस्सा रही हैं।
प्राचीन काल के राजा, संत और प्रभावशाली लोग हमेशा से रत्नों की महत्ता के बारे में बात करते आये हैं। मानव जीवन के आधुनिक समय में, प्रभावशाली राजनेता, बिज़नेस टाइकून, मशहूर लेखक, महान फिल्म अभिनेता और स्पोर्ट्स के सुपरस्टार न केवल रत्नों के बारे में बात करते हैं, बल्कि पूरे ठाठ से इसे पहनते भी हैं।
आप सेलेब्रिटी, नेताओं, टेक्नोक्रेट, ब्यूरोक्रेट और बड़े-बड़े कारोबारियों को ग्रहों के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए अपनी उंगली में या गले में पेंडंट के रूप में रत्न पहने हुए देख सकते हैं। आप इंटरनेट और टेलीविज़न पर आसानी से हीरे, नीलम, माणिक और मोती पहने हुए मशहूर हस्तियों के कई उदाहरण देख सकते हैं।
लोग रत्न क्यों पहनते हैं?
ऐसे बहुत से कारण हैं जिनकी वजह से लोग रत्न धारण करते हैं। सम्राट और राजा उन विपत्तियों का सामना करने के लिए देश की संपत्ति के रूप में अपने ख़ज़ाने में बहुमूल्य रत्न रखा करते थे जो उनके सामने आ सकती थीं।
राजा, रानी, राजकुमार, कुलीन और कारीगर फैशन के लिए या गहनों की इच्छा को पूरा करने के लिए रत्न पहनते थे।
कोहिनूर हीरे की कहानी आज भी भारतीय लोगों के जेहन में तरोताज़ा है जिसे ब्रिटिश अपने साथ ले गए थे।
हालाँकि, साधु-संतों के पास आपके लिए अलग कहानियां मौजूद हैं, लेकिन वैदिक ऋषियों की राय है कि अंगूठी या पेंडंट के रूप में कीमती पत्थर पहनने से इंसान के जीवन में सौभाग्य आ सकता है।
ज्योतिषीय उद्देश्यों के लिए रत्नों का प्रयोग अनादिकाल से चला आ रहा है। ज्योतिषी से ज्योतिषीय सलाह लेकर लोग रत्न धारण करते थे।
भाग्यशाली रत्नों का प्रभाव दुनिया भर में हर जगह स्वीकार किया जाता है। एंजेलिना जॉली, जेसिका सिम्पसन, अमिताभ बच्चन, ए.आर. रहमान, प्रियंका चोपड़ा, सलमान खान, करीना कपूर, शिल्पा शेट्टी, ऐश्वर्या राय बच्चन, अजय देवगन और दुनिया भर की और भी बहुत सारी मशहूर हस्तियां ज्योतिषीय रत्न पहनती हैं।
आपको अपना भाग्यशाली रत्न क्यों पहनना चाहिए?
भाग्यशाली पत्थर और जन्म के रत्न, रत्नों के लिए प्रयोग किये जाने वाले समानार्थक शब्द हैं। दुनिया के ज्यादातर लोग रत्नों के विज्ञान और किस्मत पर इसके प्रभाव पर भरोसा करते हैं।
भाग्यशाली रत्न अनदेखी मुश्किलों से लड़ने में मदद करता है और विपत्तियों को दूर रखता है। जब इंसान अपने जीवन के किसी मोड़ पर गरीबी, बीमारियों, वैवाहिक कलह, संतानहीनता, व्यावसायिक परेशानी और सामाजिक बदनामी से परेशान होता है तब हमें जीवन में दैवीय हस्तक्षेप की ज़रूरत पड़ती है। हालाँकि, वैदिक भारतीय ज्योतिष में कई प्रकार के उपचारात्मक उपाय मौजूद हैं, लेकिन कीमती रत्न इनमें सबसे आगे हैं।
रत्नों को जाति, पंथ, आस्था, क्षेत्र और धर्म को दरकिनार रखते हुए स्वीकार किया जाता रहा है। इन्हें जीवन के सभी क्षेत्रों से आने वाले लोगों द्वारा स्वीकार किया गया है क्योंकि भाग्यशाली पत्थर का धार्मिक अनुष्ठानों से कोई संबंध नहीं होता। यहाँ कुछ और कारण भी दिए गए हैं जो बताते हैं कि आपको रत्न क्यों पहनने चाहिए।
- यह आपका व्यक्तित्व सुंदर बनाता है।
- यह आपका आत्म-विश्वास बढ़ाता है।
- जीवन में पेशेवर या व्यावसायिक परेशानी आने पर यह एक संपत्ति के रूप में काम करता है।
- जीवन से नकारात्मक ऊर्जाओं को बाहर निकालता है।
- पति-पत्नी के बीच प्रेम और स्नेह बढ़ाता है।
- आपका खोया हुआ प्यार वापस लाता है।
- यह आपको करियर, पेशे और व्यवसाय में सफल बनाता है।
- यह बुद्धि, कल्पना, रचनात्मकता में सुधार करता है और आखिरकार आपके मानसिक कौशल को बढ़ाता है।
आप न केवल नकारात्मक ऊर्जाओं को बाहर निकालने के लिए रत्न धारण कर सकते हैं, बल्कि इसकी मदद से अपनी जीवन शैली भी सुधार सकते हैं।
9 ग्रह और उनसे संबंधित रत्न जिनके बारे में आपको जानना चाहिए
कीमती रत्नों को बहुत गहन विचार-विमर्श के बाद पहनना चाहिए। विशेष रूप से, आपको किसी जानकार ज्योतिषी से परामर्श लेना चाहिए जिसे रत्न विज्ञान की अच्छी-खासी जानकारी हो।
एकता कपूर को उल्टे-सीधे रत्न पहने हुए देखकर आप भी बहुत सारे रत्न न पहन लें। जाहिर तौर पर, उनकी उंगलियां रोचक लगती हैं, लेकिन अपनी उंगलियों में कई सारे रत्न पहनना अच्छा नहीं होगा।
रत्नों की दुनिया बहुत जटिल है। कोई भी भाग्यशाली पत्थर प्रयोग करने से पहले आपको अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से आपकी ज़िन्दगी पर बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है।
अलग-अलग ज्योतिषी बहुत सारे कारकों पर विचार करने के बाद कीमती या कम कीमती रत्नों का सुझाव देते हैं। रत्न पहनने के अलग-अलग तरीके हैं। कुछ लोग जन्मतिथि के आधार पर रत्नों का सुझाव देते हैं, जबकि कुछ लोग चंद्र राशि या लग्न के आधार पर रत्नों का सुझाव देते हैं। हालाँकि, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से लग्न विधि आज तक की सबसे अच्छी विधि है।
नियम और प्रणालियाँ चाहे जो भी हों, अपना भाग्यशाली रत्न और किसी विशेष ग्रह से इसके संबंध के बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
संक्षेप में, यहाँ 9 ग्रह और उनके प्रमुख रत्न दिए गए हैं:
- सूर्य – माणिक
- चंद्र – सफ़ेद मोती
- मंगल – लाल मूंगा
- बुध – हरा पन्ना
- वृहस्पति – पीला नीलम
- शुक्र – हीरा
- शनि – नीला नीलम
- राहु – गोमेद
- केतु – लहसुनिया
अब हम 9 ग्रहों और किस्मत चमकाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले उनसे संबंधित रत्नों के बीच के संबंध के बारे में बात करेंगे:
सूर्य और माणिक से इसका संबंध
सूर्य ग्रह को अपनी महिमा के लिए जाना जाता है। केवल सौर मंडल ही नहीं, बल्कि यह आपके जीवन के कोने-कोने को प्रभावित करता है।
प्राचीन काल के ऋषियों ने माणिक को सूर्य के रत्न के रूप में निर्धारित किया है। न केवल भारत, बल्कि विदेशों में भी ज्योतिषीय उपाय के रूप में माणिक का इस्तेमाल किया जाता है।
माणिक का इस्तेमाल तब किया जाता है जब सूर्य ग्रह लग्न का स्वामी होता है, और जन्म कुंडली में 5वें और 9वें भाव में होता है। अपने ऊपर सूर्य की महादशा होने पर आप इसका प्रयोग कर सकते हैं। जब सूर्य शनि, राहु, केतु जैसे दुष्ट ग्रहों से प्रभावित होता है, तब भी उपचारात्मक उपाय के रूप में माणिक का प्रयोग किया जा सकता है।
यह कीमती पत्थर उन लोगों के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है जो राजनीति, प्रबंधन, नौकरशाही, शीर्ष प्रबंधन और आधिकारिक पद से जुड़े हुए हैं।
चन्द्रमा और सफ़ेद मोती से इसका संबंध
मोती सबके लिए जाना-पहचाना नाम है। यह बहुत सुंदर रत्न होता है और इसे चन्द्रमा के लिए निर्धारित किया गया है।
अगर बच्चा गुस्सैल प्रकृति का होता है तो माँ उसे सफ़ेद मोती पहनाती है। पति अपनी पत्नी को उपहार में मोती दे सकता है जब उसकी साथी चिंता और भ्रम से घिरी होती है। इसी प्रकार, पत्नी अपने पति के क्रोधी स्वभाव को शांत करने के लिए मोती प्रयोग करती है।
दरअसल, ज्यादातर लोग किसी ज्योतिषी की सलाह के बिना भी मोती प्रयोग करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मोती का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
मोती का प्रयोग तब किया जाना चाहिए जब चंद्र ग्रह आपके लग्न के लिए अच्छा होता है। मोती घबराहट, अवसाद, उदासी, मतिभ्रम, पागलपन, माइग्रेन, द्विध्रुवी विकार, मिर्गी, आत्महत्या की प्रवृत्ति, आत्म-हानि और जुनूनी बाध्यकारी विकार को दूर करने में काफी समर्थ होता है।
आप चन्द्रमा की महादशा या अन्तर्दशा के दौरान इसका प्रयोग कर सकते हैं। इसका प्रयोग तब किया जा सकता है जब जन्म कुंडली में चन्द्रमा दुष्ट ग्रहों से कमजोर और पीड़ित होता है।
मंगल और लाल मूंगे से इसका संबंध
मंगल ग्रह वीरता, साहस, नियंत्रण और आत्मविश्वास को दर्शाता है; प्राचीन ऋषियों ने मंगल ग्रह के लिए लाल मूंगा निर्धारित किया है।
यह लाल रत्न उन लोगों के लिए भाग्यशाली हो सकता है; जो सेना, वायु सेना, जल सेना, हाईकिंग, प्रबंधन, सुरक्षा, पुलिस, रोमांचक गतिविधि, खेलकूद और पायरोटेक्निक्स आदि से जुड़े हैं।
लाल मूंगा आपका आत्मविश्वास और शारीरिक बल बढ़ा सकता है; अगर आपके ऊपर मंगल की दशा है तो यह विशेष रूप से बहुत अधिक लाभदायक होता है।
नियमानुसार; ज्योतिषी आमतौर पर इसका सुझाव तब देते हैं; जब मंगल ग्रह दुष्ट ग्रहों से पीड़ित होता है और वृश्चिक में कमजोर होता है।
किसी समय; भारत में लाल मूंगा; नवविवाहित महिलाओं को उनका भाग्य; बेहतर करने के लिए; उपहार में दिया जाता था। लाल मूंगा आसानी से उपलब्ध होता है और सभी के लिए किफायती है।
बुध और हरे पन्ने से इसका संबंध
आपको यह जानकर निश्चित रूप से ईर्ष्या होगी; कि मेगास्टार अमिताभ बच्चन; विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय बच्चन; और सेलिब्रिटी और योग में माहिर शिल्पा शेट्टी अपनी उंगलियों में हरा पन्ना धारण करते हैं।
प्राचीन पंडितों ने हरा पन्ना; बुध ग्रह के लिए निर्धारित किया है; शोध के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए यह बहुत अच्छा उपहार है।
बुध एक ऐसा ग्रह है जो; बुद्धिमत्ता, ज्ञान, समझने की क्षमता, ग्रहणशीलता, तेज बुद्धि और उच्च स्तर की कुशलता को दर्शाता है। बुध ग्रह व्यापार और वाणिज्य, विज्ञान और अनुसंधान, आईटी, संचार, कंप्यूटर, मीडिया, विज्ञापन और उन क्षेत्रों पर शासन करता है जिनके लिए वाक्पटुता की ज़रूरत होती है। बिक्री और मार्केटिंग पर पूरी तरह से बुद्ध का प्रभुत्व होता है।
इसलिए, हरा पन्ना निश्चित रूप से सार्वजनिक वक्ता, प्रेरक वक्ता, गणित विशेषज्ञ, बिज़नेस टाइकून, बिक्री और मार्केटिंग के पेशेवरों, आदि के लिए सहायक होगा।
अगर बुध लग्न के स्वामी का मित्र है तो पन्ना बहुत फायदेमंद होता है और 17 साल की बुद्ध की महादशा के दौरान यह चमत्कार कर सकता है। अगर बुध मीन राशि में कमजोर है और अनचाहे ग्रहों से पीड़ित है तो हरा पन्ना बुध की शक्ति बढ़ाने के लिए उपयोगी होता है।
वृहस्पति और पीले नीलम से इसका संबंध
वृहस्पति ग्रह को इसके प्रभावशाली चरित्र के लिए जाना जाता है। ज्योतिष में वृहस्पति को गुरु के रूप में जाना जाता है। यह सौर मंडल का सबसे परोपकारी ग्रह है। इसलिए लोगों को वृहस्पति का लाभदायक गोचर बहुत पसंद होता है।
पीला नीलम एक कीमती पत्थर है जो वृहस्पति ग्रह से संबंधित है। इसे विशेष रूप से निःसंतान दंपत्ति द्वारा धारण किया जाता है। सभी क्षेत्रों से आने वाले लोग इसे पसंद करते हैं।
बहुत सारे बौद्धिक लोग, राजनीतिक दिग्गज, बॉलीवुड सुपरस्टार, टीवी सेलिब्रिटी और सीईओ पीला नीलम पहनते हैं।
पीला नीलम निजी वित्त प्रबंधन को व्यवस्थित करने में मददगार हो सकता है। यह पहले बचत और अंत में खर्च करने की मानसिकता विकसित करने में आपकी मदद करता है।
इसे वृहस्पति की 16 साल की महादशा के दौरान पहनने की सलाह दी जाती है। अगर वृहस्पति दुष्ट ग्रहों से पीड़ित है तो भी इसे प्रयोग किया जा सकता है।
शुक्र और हीरे से इसका संबंध
हीरा सबसे महंगा और चमकदार रत्न है। आपने भारत के राजनीतिक गलियारों में कोहिनूर हीरे को लेकर मचे कोहराम के बारे में ज़रूर सुना होगा जो अब ब्रिटेन के पास है।
यह सुंदर और कीमती पत्थर शुक्र ग्रह के लिए निर्धारित किया गया है। हीरा तब धारण किया जाता है जब शुक्र राहु-केतु, शनि, मंगल और सूर्य से पीड़ित होता है।
शुक्र की महादशा और अन्तर्दशा के दौरान ज्योतिष के जानकारों द्वारा इस सबसे महंगे रत्न की सलाह दी जाती है।
चूँकि, शुक्र ग्रह विलासिता, भौतिक लाभ, प्रेम, विवाह, सम्भोग, आभूषण, कला और मनोरंजन, ग्राफिक डिज़ाइन, एनीमेशन और फैशन तकनीक का कारक है, इसलिए इन क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को हीरा धारण करने पर फायदा होगा।
यह रंगमंच, फिल्मों, होटल और आतिथ्य, रत्न और आभूषण, खाने-पीने आदि जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के लिए बेहद लाभदायक है।
शनि और नीले नीलम से इसका संबंध
शनि से किसे डर नहीं लगता? यहाँ तक कि; ज्योतिष में भरोसा न करने वाला इंसान भी; जीवन में मुश्किलें;आने पर शनि के बारे में सोचता है। शनि की साढ़े साती; शनि दोष और ढैया कुछ ऐसे सामान्य ज्योतिषीय शब्द हैं जिन्हें लगभग सभी लोग जानते हैं।
प्राचीन काल के साधु-संतों ने; शनि के लिए नीला नीलम; निर्धारित किया है। यह कीमती रत्न धारण करना सभी लोगों के बस की बात नहीं है।
अमिताभ बच्चन और महान संगीतकार एआर रहमान कीमती नीलम धारण करते हैं।
नीलम बहुत महंगा रत्न है। फिर भी; कई लोग इस कीमती पत्थर को खरीदते समय अपने मन में कोई दुविधा नहीं रखते।
लोगों को बहुत सावधानी से; नीलम पहनने का सुझाव दिया जाता है; क्योंकि लोग; इस कीमती रत्न के बुरे प्रभावों को जानते हैं। अगर शनि; लग्न के स्वामी का मित्र ग्रह है तो यह बहुत प्रभावशाली होता है।
शनि की महादशा के दौरान; नीलम बहुत चमत्कारी; साबित हो सकता है; यहाँ तक कि रेलवे, ऑटोमोबाइल, खदानों, कृषि, वानिकी के क्षेत्र में काम करने वाले लोग इसका फायदा उठा सकते हैं।
राहु और गोमेद से इसका संबंध
ज्यादातर ज्योतिषियों के लिए; किसी को गोमेद का सुझाव देना बहुत मुश्किल होता है; क्योंकि जन्म कुंडली में राहु का कोई भाव नहीं होता है। कई जानकार पंडित; राहु की महादशा के समय गोमेद का सुझाव देते हैं।
हालाँकि, किसी विचार-विमर्श के बिना; गोमेद का सुझाव देने में कोई समझदारी नहीं है। इस शक्तिशाली रत्न का सुझाव देने से पहले; जन्मपत्री का अच्छी तरह से विश्लेषण करना बहुत ज़रूरी है।
राहु की क्रुद्ध दृष्टि को शांत करने के लिए; लोगों को हेसोनाइट पत्थर का सुझाव दिया जाता है, जिसे हिंदी भाषा में गोमेद कहा जाता है।
हालाँकि, राहु के लिए रत्नों का सुझाव देने से पहले; जन्म कुंडली का गहन अध्ययन करने की ज़रूरत होती है; लेकिन एक सामान्य नियम के अनुसार; अगर जन्म कुंडली के तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में; राहु बैठा होता है तो गोमेद धारण करने की सलाह दी जाती है।
चिंता और अवसाद, कौशल संबंधी रोगों, मनोविकृति, छालरोग और कैंसर से छुटकारा पाने में गोमेद बहुत ज्यादा प्रभावशाली होता है।
केतु और लहसुनिया से इसका संबंध
केतु;9 ग्रहों में; सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक है। केतु के लिए; रत्न का सुझाव देना; बहुत मुश्किल है; कई ज्योतिषी गलत रत्न का सुझाव दे देते है; गहन विश्लेषण करने के बाद ही केतु के लिए रत्न की सलाह दी जानी चाहिए।
लहसुनिया एक कीमती रत्न है; जिसकी सलाह प्राचीन ऋषियों ने केतु के लिए दी है; केतु की महादशा के 7 सालों के दौरान इसे पहना जा सकता है।
हालाँकि, लहसुनिया का सुझाव देना बहुत मुश्किल होता है; लेकिन अगर आपकी कुंडली के तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में केतु स्थित है; तो आप इस प्रभावशाली रत्न को सुरक्षित तरीके से पहन सकते हैं।
हीन भावना; कम आत्मसम्मान और डर को दूर करने में; यह रत्न काफी प्रभावशाली होता है; एनोरेक्सिया नामक बीमारी से पीड़ित होने पर; आप लहसुनिया धारण कर सकते हैं; जिसकी वजह से; भोजन में रूचि कम हो जाती है। यह याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है; इसलिए परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए छात्रों के लिए यह लाभकारी साबित हो सकता है।
अगर आप किसी जंगल के पास रहते हैं; या अगर आपके इलाके में साँपों का खतरा है तो यह आपके लिए बहुत असरदार हो सकता है।
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